Save Sanskrit and Sanskrit Promoting Professor in Arya PG College Panipat

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Petitioning: Resume Sanskrit Honors at Arya College Panipat and STOP Harassing Sankrit Prof

Petitioner: Save Sanskrit started on May 30, 2016

पानीपत के आर्य कॉलेज में प्राचार्य द्वारा संस्कृत और संस्कृत के प्रबल समर्थक प्राध्यापक का समूल नाश करने का षड्यंत्र - आप इस स्थिति को बदलने में अपना सहयोग निश्चित दे सकते हैं

नमस्ते

क्या आप संस्कृत भाषा के प्रति आस्था रखते हैं? क्या आप चाहते हैं कि इस भाषा का विस्तार हो? क्या आप संस्कृत भाषा के माध्यम से अपने बच्चों को संस्कारित करने के इच्छुक हैं? क्या आप चाहते हैं कि संस्कृत को उसका खोया सम्मान पुनः प्राप्त हो? यदि हाँ, तो कृपया अपने अमूल्य समय के पांच मिनट इस निवेदन को पढ़ने में अवश्य लगाएं।

यह निवेदन संस्कृत भाषा और वैदिक सिद्धांतों की रक्षा हेतु प्रयास कर रहे, शिक्षा और समाज सेवा क्षेत्र के एक अनथक कार्यकर्त्ता और प्रचारक, संस्कृत भाषा के प्राध्यापक और संस्कृत के प्रति अटूट आस्था रखने वाले, स्वयं संस्कृत भाषी एक व्यक्ति के द्वारा किये जा रहे आंदोलन के प्रति आपके नैतिक समर्थन के लिए है। संस्कृत भाषा देव-भाषा है, संस्कृत के सम्मान में भारत माता का सम्मान है, संस्कृत भाषा की रक्षा भारत माता की रक्षा है। और वेद, गीता आदि विज्ञानसम्मत शास्त्र संस्कृत भाषा के पठन पाठन की प्रेरणा प्रदान करते हैं.

इसी संस्कृत भाषा की पानीपत के एक कालेज में रक्षा का बीड़ा उठाया वहां के एक युवा प्राध्यापक ने, जिनके माता , पिता संस्कृत के प्रोफेसर रहे हैं, जिनके घर में अाबालवृद्ध सभी संस्कृत बोलते हैं, जिनके छोटे छोटे बच्चों के वेदमंत्रों के वीडियो, श्लोकोच्चारण सरल ही ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएंगे । ये प्राध्यापक विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं, आर्य समाज, चेतना परिवार, रामदेव ढींगरा पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट उनमें मुख्य हैं।

इन प्राध्यापक ने प्राचार्य से निवेदन किया कि कॉलेज में संस्कृत प्रतिष्ठा (honors) कार्यक्रम जो कि प्राचार्य जी द्वारा बंद करवा दिया गया था, उसे पुनः शुरू किया जाए जिससे कि पानीपत के आसपास के लोगों को संस्कृत की उच्च शिक्षा सहज ही प्राप्त हो सके। साथ ही यह भी निवेदन किया कि विद्यार्थियों को और elective विषयों की अपेक्षा संस्कृत लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इन प्राध्यापक ने यह निवेदन किया की कॉलेज का सूची पत्र (prospectus) हिंदी में भी प्रिंट हो केवल इंग्लिश में न हो क्योंकि हिंदी राष्ट्र भाषा है । इन प्राध्यापक ने यह भी निवेदन किया की आर्य कॉलेज में प्रतिदिन यज्ञ हो। और भी कई सुझाव जो की भारतीयता के प्रति समर्पित थे और शिक्षा के व्यवसायीकरण के विरुद्ध थे, इन्होने दिए। परिणामतः, एक भौतिक वादी, अपने आप को आधुनिक और व्यवहारिक सोच का बताने वाले प्राचार्य से इनका विरोध बढ़ता गया। और वो इसलिए संस्कृत प्रतिष्ठा (honors) कार्यक्रम के विरुद्ध रहे जिससे कि संस्कृत के प्राध्यापक का workload कम करके उनको कॉलेज से निकाला जा सके/ retrench किया जा सके।

इनकी उचित मांगें नहीं मानी गयी अपितु विभिन्न प्रकार के आरोप इनके ऊपर लगा दिए गए। इनके साथ कालेज में पक्षपात किया गया, झूठे आरोप लगा कर इनके विरुद्ध साक्ष्य बना कर, इनको निलम्बित किया गया, प्रताड़ित किया गया। जब ये पुनः निलम्बन के बाद वापस लौटे, तो इन्होंने अपना आंदोलन पुनः शुरू किया। मुद्दे वही थे, संस्कृत, वैदिक सिद्धांत, वैदिक संस्कृति, महर्षि दयानन्द के सिद्धांत, भारतीयता, नैतिकता और अनुशासन। इन संस्कृत प्राध्यापक का नाम है डॉ. सुश्रुत सामश्रमी। ये आर्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय पानीपत में प्राध्यापक हैं जो कि अब संस्कृत विरोधी प्राचार्य द्वारा दी गयी मानसिक यातना और प्रताड़ना से और उनके द्वारा करवाई गयी चरित्र हनन की कोशिशों से आहत हैं ।

इनकी प्रताड़ना के लिए नए नए तरीके ढूंढें गए। आर्य समाज का प्रचार करने के लिए जाने पर रोक लगा दी गयी। ये बात लिखवा करके ले ली गयी। इनकी ७७ वर्षीया माता जी को प्राचार्य ने फ़ोन करके धमकाया। संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी का श्रेष्ठ वक्ता होने के बावजूद कॉलेज के किसी भी आयोजन में इनको संयोजन का या बोलने का अवसर नहीं दिया गया। और तो और कॉलेज में इनके हवन तक कराने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। प्राचार्य जी के आदेश से, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा इनको प्रतिदिन कॉलेज के गेट पर रोक जाता रहा, कॉलेज में घुसने तक नहीं दिया गया। और कितनी ही ऐसी बातें हैं जिनको लिखने में पृष्ठ भरे जा सकते हैं। हद तो तब हो गयी, जब एक ६० वर्षीय माता तुल्य चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारिणी महिला (जो की प्राचार्य जी के स्वयं के कार्यालय में तदर्थ रूप में कार्यरत है) से पुलिस थाने में शिकायत लिखवा कर के, FIR करवा कर के, इन प्राध्यापक का चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है। प्राचार्य ने प्रबंधक समिति के सदस्यों के साथ थाने में जाकर इनके विरुद्ध हत्या की धमकी देने का आरोप लगाया है।

पुलिस द्वारा इनको प्रताड़ित किया जा रहा है। इनकी अनुपस्थिति में, इनकी पत्नी और बच्चे को डराने के लिए सायंकाल घर में पुलिस भेजी गयी है। मानसिक यातनाएं देकर के, इनको क्रोध में भड़काकर के, अव्यवस्थित करने का सुनियोजित षडयंत्र किया जा रहा है परन्तु अपने संस्कारों, शिक्षा, आत्मबल और सत्य के प्रति अपनी निष्ठां के कारण, आचार्य सामश्रमी अनवरत खड़े हैं और सत्य को उजागर करने के लिए तत्पर हैं। अनैतिक और अवैध रूप से, बिना मीटिंग बुलाए इनको पुनः निलम्बित कर दिया गया है, और निलम्बन से पहले कॉलेज की अंतरंग कमेटी द्वारा कोई जांच नहीं की गयी और न ही इनको अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। और अब इनको कॉलेज से निकलने की साजिश रची जा रही है। यह कैसी विडम्बना है कि एक घोर संस्कृत समर्थक, वेद -प्रचारक, उपदेशक, जिसके नाना और पूरा परिवार संस्कृत, वेद और आर्य समाज से जीवन भर जुड़े रहे हों, को प्रबंध समिति के कुछ लोग, अज्ञानवश, भौतिकवादी, अहंकारी, दम्भी, शिक्षा के वास्तविक स्वरुप को न समझने वाले प्राचार्य के बहकावे में आकर, संस्कृत, सच्चरित्रता, वेद, महर्षि दयानन्द, गीता, अनुशासन, भारतमाता, भारतीय संस्कृति की बात रखने के कारण डॉ सामश्रमी को कॉलेज से निलम्बित करके, निकालने के रास्ते तलाश रही है।

सब किसलिए? इसलिए नहीं कि इन्होने अपने स्वार्थ की कोई बात की बल्कि इसलिए क्योंकि इन्होने संस्कृत की बात की, वेद की बात की, राष्ट्रीयता की बात की, भारतीयता की बात की, राष्ट्रभाषा के सम्मान की बात की, चरित्र की बात की, मदिरा पान के विरुद्ध आवाज़ उठायी, अश्लीलता के विरुद्ध आवाज उठायी, विद्यार्थियों में अनुशासन की बात उठायी, अकेले सभी विरोधियों से लड़े और हार नहीं मानी, न ही गलत बात के आगे झुके।

अब निर्णय का समय है। कब तक संस्कृत प्रेमी ऐसे व्यक्ति की प्रताड़ना होते देख मूक दर्शक बने रहेंगे। कब तक वैदिक उपदेशक, संस्कृत प्रचारक, समाज सेवी, अहिंसा के प्रबल समर्थक, गुरुकुल के स्नातक, स्वच्छ हृदय, चरित्रवान व्यक्ति की प्रताड़ना को देख राष्ट्र प्रेमी, दयानन्द भक्त, वेद भक्त, संस्कृत समर्थक चुप बैठेगा? आखिर कब तक? क्या ठीक रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति को, एक दुराग्रही, शक्तिशाली, संस्कृत विरोधी प्राचार्य और उसकी समर्थक प्रबंध समिति का सामना करने के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए? क्या हम सभी का संस्कृत, वेद, दयानन्द, राष्ट्रभाषा, राष्ट्र और संस्कृति के लिए कोई कर्त्तव्य बनता है?

यदि आपका उत्तर हाँ है, तो आये, अपना विरोध दर्ज़ करें। इस अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठायें, जो गलत मार्ग पर हैं उनको सावधान करें। संस्कृत, संस्कृति, राष्ट्रीयता की रक्षा में अपना योगदान करें। याद रखें, यदि हम मौन रहे, तो हम एक संस्कृत का भक्त खो देंगे। हम वेद-उपनिषद-गीता का एक प्रचारक खो देंगे। इस विषय में मौन रहना, एक अन्यायी प्राचार्य और उनके द्वारा गुमराह प्रबंध समिति का मूक समर्थन करना है। यदि एक निःस्वार्थ संस्कृत प्रेमी और वेद प्रचारक को इस तरह प्रताड़ित करके चुप करा दिया गया, तो सत्य बोलने के लिए कोई और कैसे प्रोत्साहित होगा?

आप अपना सहयोग निम्न माध्यमों से दे सकते हैं:

इस ज्ञापन/निवेदन को online साइन करके
इस मैसेज को ईमेल द्वारा जगह जगह पहुंचाकर, सत्य स्पष्ट करके, श्री प्राचार्य जी पर दबाव बना कर
इस मैसेज को copy/paste करके whatsapp के द्वारा भेजकर

आपका एक छोटा सा मूक समर्थन, डॉ सामश्रमी द्वारा किये जा रहे संघर्ष को नया मोड़ दे सकता है

भारतमाता की जय
संस्कृत भाषा की जय
भारते भातु भारती

आपका ही,

संस्कृत, संस्कृति, सात्विकता, राष्ट्र और दयानन्द का एक सेवक
हृदयेश आर्य